सरकार ने लोक परीक्षा अधिनियम 2024 की धारा 3 के तहत कम से कम 15 कार्यों की सूची बनाई है। इनमें से किसी एक में भी गलती करने पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना और 10 साल तक की सजा हो सकती है।

पेपर लीक विवादों के बीच, सरकार ने भर्ती और प्रवेश परीक्षाओं में गड़बड़ी और हेराफेरी को रोकने के उद्देश्य से एक नया कानून लागू किया है। इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर अधिकतम 10 वर्ष की कैद और एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इस नए कानून का नाम लोक परीक्षा अधिनियम 2024 है।
इस कानून के तहत यूपीएससी, एसएससी, रेलवे भर्ती बोर्ड, आईबीपीएस, और एनटीए द्वारा आयोजित सभी ऑनलाइन और ऑफलाइन परीक्षाएं शामिल हैं। इसके अलावा, जेईई, नीट, और सीयूईटी जैसी परीक्षाएं भी इस कानून के दायरे में आती हैं। पहले, पेपर लीक की घटनाओं से निपटने के लिए सरकार के पास कोई विशिष्ट कानून नहीं था।
इसमें नल पर रोकथाम के लिए कम से कम 3 साल से 5 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार, यदि कोई संगठन इस अपराध में शामिल पाया जाता है, तो उसे 5 से 10 साल तक की जेल हो सकती है। इसके अतिरिक्त, एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यदि सेवा प्रदाता दोषी पाया जाता है, तो उसे एक करोड़ रुपए का जुर्माना देना होगा। इस कानून के अंतर्गत सभी अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे।
विधेयक की धारा 3 में कम से कम 15 कार्यों को सूचीबद्ध किया गया है जो मौद्रिक या गलत कार्य के लिए सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों का उपयोग करने के बराबर है इनको निम्न प्रकार से हमने नीचे बताया है जो शामिल है।
परीक्षा के प्रश्न पत्र या उनके उत्तर या उत्तर कुंजी को लीक करना, जिससे परीक्षार्थियों को किसी भी प्रकार से मदद मिल सके, या बिना अनुमति के प्रश्न पत्र या ऑप्टिकल मार्क रिकॉग्निशन (ओएमआर) प्रतिक्रिया शीट को अपने कब्जे में लेना।
परीक्षा के लिए उपयोग होने वाले कंप्यूटर नेटवर्क या अन्य उपकरणों में हेरफेर करना, फर्जी एडमिट कार्ड बनाना, या नकली ऑफर लेटर जारी करना।
परीक्षा केंद्र पर अभ्यर्थियों को जवाब प्राप्त कराना, ओएमआर शीट या उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़, आर्थिक लाभ के लिए फर्जी परीक्षा आयोजित कराना, यह सभी कार्य नैतिकता के खिलाफ हैं और शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से क्षति पहुँचाते हैं। इस प्रकार की किसी भी प्रयास से विशेषतः शिक्षा देने वाले संस्थानों और छात्रों के भविष्य पर संकट आ सकता है।
दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करना, सीटिंग अरेंजमेंट में गड़बड़ी करना, प्रश्न पत्र या आंसर-की लीक करने में किसी के साथ शामिल होना, परीक्षा में किसी भी तरह से अनधिकृत रूप से अभ्यर्थी की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करना।
बिना किसी अधिकार के, सिर्फ त्रुटियों को दूर करने के अलावा, मूल्यांकन में परिवर्तन करना।सार्वजनिक परीक्षा के संचालन में उपयुक्त साधनों के उल्लंघन करते हुए सुरक्षा उपायों का ध्यानपूर्वक उपयोग करना।
किसी एग्जामिनेशन अथॉरिटी को धमकाना या उनको डराना, उनकी स्वतंत्रता को खतरे में डालना, या उन्हें प्रभावित करके अपने ही फायदे के लिए काम करना, यह कानूनी रूप से गंभीर अपराध है।परीक्षा से संबंधित गोपनीय जानकारी को अनधिकृत तरीके से सार्वजनिक करना एक संविधानिक अपराध हो सकता है, जो विशेष रूप से प्रदेशीय और राष्ट्रीय स्तर पर साझा की गई जानकारी को शामिल करता है।